चीन के साइबर-अटैक के बाद चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, जनरल बिपिन रावत ने तीनों सेनाओं (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) को डिजिडाइड़-वॉरफेयर के लिए मिलकर रणनीति तैयार करने का आहवान किया है. सीडीएस ने कहा कि पारंपरिक यु्द्ध हो या फिर सीमित-परमाणु युद्ध, भारत दोनों तरह के लिए तैयार है. लेकिन सशस्त्र-सेनाओं को अपने ऑपरेशन्स के लिए बेहद जरूरी है कि डिजिडाइजड-बैटलस्पेस के लिए खुद को रि-मॉडल करने की जरूरत है.
सीडीएस, जनरल बिपिन रावत गुरूवार को सिकंदराबाद स्थित कॉलेज ऑफ डिफेंस मैनेजमेंट (सीडीएम) द्वारा आयोजित एक राष्ट्रीय वेबिनार को संबोधित कर रहे थे. इस वेबिनार का थीम था ‘ट्रांसफोर्मेशन: इम्पेरेटिव्स फॉर इंडियन आर्म्ड फोर्सेज़.’ जनरल बिपिन रावत के मुताबिक, दुनियाभर की सेनाओं के मुकाबले भारत की फौज ज्यादा चुनौतियां का सामना करती है.
वॉरफेयर का स्वरूप पूरी तरह बदल गया है
इसलिए बेहद जरूरी है कि दूसरे देशों की सेनाओं में जो बदलाव आए हैं, उनसे सावधानी-पूर्वक सीखते हुए वॉरफेयर के सभी स्पेक्ट्रम्स के लिए खुद को ट्रांसफोर्म करने की जरूरत है. उन्होनें कहा कि हमारे देश में “पारंपरिक युद्ध और लिमिटेड न्युक्लिर-वॉर के लिए पहले से ही ऑर्गेनाइजेशन्ल-स्ट्रक्चर (यानि संगठनात्मक संरचना) मौजूद है.
लेकिन दूसरी तरह के ऑपरेशन्स के लिए बेहद जरूरी है कि डिजिटाइजड-बैटलस्पेस में साथ जंग लड़ने के लिए सशस्त्र-सेनाओं (थलसेना, वायुसेना और नौसेना को) रि-मॉडल, रि-इक्यूपेड और रि-ऑरिऐंट करने की जरूरत है.” चीन और पाकिस्तान दोनों से आगह करते हुए सीडीएस ने कहा कि मिलिट्री-पावर को राष्ट्रनीति का अहम हिस्सा बनाने के लिए बेहद जरूरी है कि सामरिक-बदलावों कई स्तर पर हों–फिर चाहे वो पॉलिटिकिल-मिलिट्री स्तर पर हो, स्ट्रेटेजिक-ऑपरेशन हो या फिर टेक्टिकल स्तर पर. उन्होनें कहा कि 20वीं सदी में तकनीक और सूचना के विकास से वॉरफेयर का स्वरूप पूरी तरह बदल गया है.
तीनों सेनाओं के एकीकरण और साझा-थियेटक कमांड बनाने पर हो रही है चर्चा
जनरल बिपिन रावत ने इस वेबिनार को ऐसे समय में संबोधित किया जब गुरूवार को गुजरात के केवडिया में कम्बाइंड कमांडर्स कॉन्फ्रेंस शुरू हो रहा था. चीन से नौ महीने तक चले टकराव के बाद तीनों सेनाओं के टॉप कमांर्डस पहली बार एक साथ देश की रणनीति पर चर्चा करने के लिए गुजरात में इकठ्ठा हो रहे हैं. तीन दिवसीय इस सम्मेलन में खास तौर से तीनों सेनाओं के एकीकरण और साझा-थियेटक कमांड बनाने पर चर्चा हो रही है. इसके अलावा डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री एफेयर्स (डीएमए) के एक साल के कार्यकाल की समीक्षा भी की जाएगी.
खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सीडीएस सहित तीनों सेनाओं के प्रमुख इस सम्मेलन को संबोधित करेंगे.
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